Friday, March 15, 2013

मैं समुंदर हूँ !! Written By - Shishir Pradhan


तमाम ज़िंदगिया  समेटे  हूं ,
मैं  अपनी  आगोश  मे ..
सबकी  ज़िम्मेदारियाँ  हैं ,
बस  इसलिए  शांत  हूं ..
मैं  समुंदर  हूँ !!

मेरे  सीने  मे  बहुत  कुछ  दफन  है ,

हजारो  हलचले  होती  हैं  हर  रोज़ ,

फिर  भी  खामोश  बेह  रहा  हूं ,

मैं  समुंदर  हूं ..
मुझे  रोज़  शाम  को  होने  वाले  जश्न  पसंद  नहीं  हैं ,

मुझे  तन्हा रहने  का  शौक  है ,

बस  इसीलिए  अपने  किनारे  बने  रेत के  आशियानो  को  मिटा  देता  हूं ,

मैं  समुंदर  हूं ..
कभी  कभी  मुझे  भी  लोगो  पर  गुस्सा  आ  जाता  है ,

तभी  मैं  बेकाबू  हो  जाता  हूं ,

तभी  मुझसे  सब  कुछ  तहस  नहस  हो  जाता  है ..
पर  मैं  तबाही  नहीं  चाहता ,
मैं  फिर  शांत  हो  जाता  हूं ,
फिर  लोग  मेरे  किनारे  जश्न  मनIते  हैं ,
फिर  से  मेरे  सीने  पर  कश्तीया चलाते  हैं ..
मैं  फिर  से  सब  कुछ  सह लेता हूं ..

मैं  समुंदर  हूं !!!

मैं  समुंदर  हूं !!!

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